1.मैं तो अखलाक के हाथों ही बिका करता हूँ
और होंगे तेरे बाजार में बिकने वाले [Saeed Raahi]
2.उम्र भर रेंगते रहने की सज़ा है जीना
एक दो दिन की अज़ीयत हो तो कोई सह-ले [Sahir Hoshiarpuri]
3.कौन कमबख्त हदे आशिकी को बर्दाश्त कर पाया है
किसी ने शराब को तो किसी ने मौत को गले लगाया है [Manish jha]
4.क्या सुनाते हो की है हिज्र में जीना मुश्किल
तुम से बे-रहम पे जीने से तो आसान होगा [Momin Khan Momin]
5.दूरियाँ चाहे जितनी भी हो , दर्द चाहे कितनी
भी हो तेरा दामन हम ना छोरेंगे तूफां चाहे -
कितनी भी हो [Manish jha]
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