शायरी हीं शायरी
तू छेड़ ना यूँही मेरे दिले-जायज़ को,फिर दर्द हीं होगा फिर तुझे नुख्स हीं मिलेगा ...
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Friday, September 7, 2012
आपका और मेरा
सूरज हूँ ज़िन्दगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा....
डूब जाना तो फितरत है अपनी
सुबह ना आया तो बागी समझाना ...
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