1.ताकत से तक़दीर लिखी जाती है यहाँ
कुछ दूर तक बिगर भी जाए तो *** नहीं होता..
2.कहाँ से ढूंढे वो जमात जिसकी नियत साफ़ हो ;
हो तकरार ,पर उसमे भी हुजूम की बात हो ...
जिक्र हो दुश्मनों का भी कभी इबादत में खुदा की
हर सुबह मुबारक से जागे और हर शहर सलाम से ढ़ल जाए.
कहाँ से ढूंढे वो जमात.....................सोचता हूँ
कुछ दूर तक बिगर भी जाए तो *** नहीं होता..
2.कहाँ से ढूंढे वो जमात जिसकी नियत साफ़ हो ;
हो तकरार ,पर उसमे भी हुजूम की बात हो ...
जिक्र हो दुश्मनों का भी कभी इबादत में खुदा की
हर सुबह मुबारक से जागे और हर शहर सलाम से ढ़ल जाए.
कहाँ से ढूंढे वो जमात.....................सोचता हूँ
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