शायरी हीं शायरी
तू छेड़ ना यूँही मेरे दिले-जायज़ को,फिर दर्द हीं होगा फिर तुझे नुख्स हीं मिलेगा ...
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Thursday, August 23, 2012
शायरी हीं शायरी: सोचता हूँ
शायरी हीं शायरी: सोचता हूँ
: 1. ताकत से तक़दीर लिखी जाती है यहाँ कुछ दूर तक बिगर भी जाए तो *** नहीं होता.. 2. कहाँ से ढूंढे वो जमात जिसकी नियत साफ़ हो ; हो तकरार ...
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